2 Line heart touching shayari new update 2018 - shayariroyal.blogspot.in

“Shayariroyal.blogspot.in” is community of real poets and poetry admirer from whole globe. we have collected a huge collection of hindi love & sad shayari or touching love story shayari and best shayari .....

Home Top Ad

Post Top Ad

Your Ad Spot

Thursday, May 17, 2018

2 Line heart touching shayari new update 2018

1.आगे आती थी हाल-इ-दिल पे हंसी

   अब किसी बात पर नहीं आती



2. अपनी गली में मुझको न कर दफ़न बाद-इ-क़त्ल
    मेरे पते से ख़ल्क़ को क्यूँ तेरा घर मिले



3. आइना देख अपना सा मुंह ले के रह गए
   साहब को दिल न देने पे कितना गुरूर था



4. आये है बे-कासी-इ-इश्क़ पे रोना ‘ग़ालिब’
    किस के घर जाएगा सैलाब-इ-बला मेरे बाद



5.आता है दाग़-इ-हसरत-इ-दिल का शुमार याद
मुझ से मिरे गुनाह का हिसाब ऐ खुदा न माँग



6.आशिक़ हूँ पे माशूक़-फरेबी है मीरा काम
मजनूँ को बुरा कहती है लेल मेरे आगे



7.इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के



8.इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतश ‘ग़ालिब’
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने

9.इस नज़ाक़त का बुरा हो वो भले हैं तो क्या
हाथ आवे तो उन्हें हाथ लगाए न बने

10.इस सादगी पे कौन न मर जाये ए खुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं

11.उधर वो बद-गुमानी है इधर ये ना-तवानी है
न पूछा जाए है उस से न बोला जाए है मुझ से

12.उन के देखे से जो आ जाती है मुंह पे रौनक
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है

13.एतिबार-इ-इश्क़ की खान-खराबी देखना
ग़ैर ने की आह लेकिन वो खफा मुझ पर हुये

14.काट’या कीजिये न ताअल्लुक़ हैम से
कुछ नहीं है तो अदावत ही सही

15.क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ
रंग लावेगी हमारी फाक-मस्ती एक दिन

16.कहाँ मई-खाने का दरवाजा ‘ग़ालिब’ और कहाँ वाइज़
पर इतना जानते हैं कल वो जाता था की हम निकले

17.काबा किस मुंह से जाओगे ‘ग़ालिब’
शर्म तुम को मगर नहीं आती

18.क़ासिद के आते-आते ख़त इक और लिख रखूँ
मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में

19.कितने शीरीं हैं तेरे लब की रक़ीब
गालियाँ खा के बे-मज़ा न हुआ

20.की मिरे क़त्ल के बाद उस ने जफ़ा से तौबा
हाय उस जूड़-पशीमां का पशीमां होना

21.कोई उम्मीद बर नहीं आती
कोई सूरत नज़र नहीं आती

22.कौन है जो नहीं है षाज़त-मन्द
किसकी षाज़त रवा करे कोई

23.जी ढूँढ़ता है फर वही प्राथमिक रात दिन
बैठे रहें कल्पना-क-जान है

24.तुम जानो तुम गीर जो रस्म-ओ-राह हो
मुझे भी पूछते रहो तो क्या गुनाह हो

25.टायर वादे पर जी हम तो ये जान झूठ जाना
खुशी से मर न जाते अगर द्वारा क्रमबद्ध होता

26.थे खबर गर्म ग़ालिब के ादीनगे पुर्जे
देखने हम भी गए थे पा तमाशा न हुआ

27.दे मुझे शिकायत की अनुमति सतमगर
कुछ तुझे मज़ा भी मेरे तकलीफ़ में आवे

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad

Your Ad Spot